शिखा श्रेया/रांची.अक्सर ऐसा आपके साथ हुआ होगा कि मन बेचैन हो या आप काफी दुखी हो. इस समय खुद को संभालना और शांति पाना बड़ा मुश्किल होता है.ऐसे में आज हम आपको झारखंड की राजधानी रांची के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं. जहां पर जाते ही लोगों के विचार शून्य हो जाते हैं. उन्हें आनंद की प्राप्ति होती है.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं रांची की चुटिया स्थित शिव मंदिर की जो कि पूरे झारखंड का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है. यहां पर शिवलिंग की ऊंचाई 64 फिट है. यह मंदिर शिवलिंग का डिजाइन का बना हुआ है जो आपको 5 किलोमीटर के दूर से ही दिख जाएगा. वहीं, यह मन्दिर का आंगन भी काफी बड़ा है. इसका कैंपस काफी खूबसूरत और भव्य है. जहां लोग आराम से बैठकर ध्यान साधना करते हैं.
आकर बस चुपचाप बैठ जाते हैं लोग
यहां पर आपको पूजा पाठ से अधिक शांति से एक कोने में बैठे हुए लोग मिलेंगे. यह देखना अपने आप में थोड़ा आश्चर्यजनक होता है. यहां लोग पूजा पाठ से अधिक शांति से बैठना पसंद करते हैं. यहां के पुजारी रुद्रेश्वर बताते है कि यहां पर लोग शिवलिंग के सामने आराम से कोने में बैठ जाते हैं. चुपचाप आंखें बंद करके ध्यान करते हैं. कई बार कुछ लोग बहुत दुखी होते हैं. यहां पर आकर बैठते हैं. उन्हें बड़ी शांति मिलती है.उन्होंने आगे बताया कि यहां पर आपको एक अलग ही शांति का अनुभव होगा. यह भक्तों की ही कृपा है. जिस श्रद्धा से वह आते हैं. वह श्रद्धा और आस्था ही यहां के चैतन्य को और मजबूत करता है. यहां पर खास ब्रेकअप के बाद आए रविंद्र बताते हैं कि कल से ही मन बहुत बेचैन और अशांत था. सोचा कहां जाऊं तो किसी ने यहां का पता बताया तो जाकर चुपचाप शिवलिंग के सामने बैठ गया.
मिलता है परम शांति
रविंद्र बताते हैं कि यहां शिवलिंग के सामने बैठने मात्र से ही मुझे इतना अच्छा लगा. एक तो मन को तसल्ली मिली और दिमाग काफी हद तक शांत हो गया है.अब तो कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा था. इसलिए दुखी था. अब लग रहा है कि शायद जो हुआ वह ठीक हुआ. कल तक संभालना खुद को मुश्किल था.अब काफी अच्छा महसूस हो रहा है.यहीं पर शिवलिंग के सामने ध्यान करती नीलिमा बताती है कि पूजा पाठ से भी अधिक शिवलिंग के सामने बैठकर आंखें बंद ही कर लो तो ऐसा लगता है कि परमानंद की प्राप्ति हो रही हो. विचार शून्य हो जाता है. अंदर से बहुत अच्छा महसूस होता है.
शांति से बैठने आते हैं श्रद्धालु
पंडित रुद्रेश्वर बताते है कि यहां पर पूजा पाठ से अधिक शांति से लोग बैठने आते हैं. ऐसे कई श्रद्धालु है जिनके माता-पिता का देहांत हो गया या फिर उनके बच्चे को कोई तकलीफ हो. ऐसे में आकर यहां बैठते हैं, वह आंखें बंद करके, थोड़ा समय बिताते हैं. कई बार यहां आते हैं तो मैं देखता हूं कि पहले से काफी अच्छा और आनंद महसूस करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 23, 2024, 19:07 IST